दो वोट के लिए दो मर्डर, सुप्रीम कोर्ट ने दी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्र कैद की सजा, भगवान ही मालिक हैं

By: Shilpa Fri, 01 Sept 2023 2:43:03

दो वोट के लिए दो मर्डर, सुप्रीम कोर्ट ने दी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्र कैद की सजा, भगवान ही मालिक हैं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता प्रभुनाथ सिंह को 1995 में हुए दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा दी है। चार बार लोकसभा सांसद रह चुके सिंह को इस मामले में निचली अदालत और हाई कोर्ट ने बरी किया था, लेकिन 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों फैसलों को पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया था। प्रभुनाथ सिंह हत्या के एक अन्य मामले में पहले से उम्र कैद की सज़ा काट रहे हैं।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने साल 1995 के मशरख डबल मर्डर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए और घायल के परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा- इस मामले में दो विकल्प हैं, या तो हम जीवन दें या मौत। फिर जस्टिस विक्रम नाथ ने पूछा कि प्रभुनाथ सिंह की उम्र कितनी है? उनके वकील ने बताया- 70 साल। इसके बाद जस्टिस ने कहा कि तब तो भगवान ही मालिक हैं। आज से पहले ऐसा केस नहीं देखा।

पटना की अदालत ने बरी किया, हाईकोर्ट ने फैसला बरकरार रखा

प्रभुनाथ सिंह को इस मामले में पटना की एक कोर्ट ने साल 2008 में बरी कर दिया था। बाद में साल 2012 में पटना हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया था। पीड़ित के भाई ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने 18 अगस्त को प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था। वे फिलहाल विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में झारखंड के हजारीबाग केंद्रीय जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

क्या है मामला?

1995 में बिहार के छपरा में 18 साल के राजेंद्र राय और 47 साल के दरोगा राय की एक मतदान केंद्र के नज़दीक हत्या हुई थी। यह आरोप लगा था कि प्रभुनाथ सिंह ने दोनों को इसलिए मार डाला क्योंकि उन्होंने प्रभुनाथ के कहने के मुताबिक मतदान नहीं किया था। इस मामले में सिंह को 2008 में निचली अदालत और 2012 में पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, अभय एस ओक और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा है कि मामले में प्रभुनाथ के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
आज क्या हुआ?

18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के गृह सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया था कि प्रभुनाथ सिंह को गिरफ्तार किया जाए और 1 सितंबर को पेश किया जाए। हालांकि, बाद में जजों ने साफ किया कि प्रभुनाथ को पेशी के लिए सुप्रीम कोर्ट लाने की ज़रूरत नहीं है। इसलिए, उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए पेश किया गया। प्रभुनाथ के वकील ने उनकी उम्र का हवाला देते हुए रियायत की मांग की, इसके बाद कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा की घोषणा कर दी। जजों ने बिहार सरकार और प्रभुनाथ को यह आदेश भी दिया कि दोनों पीड़ितों के परिवार को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।

पहले से काट रहे हैं उम्रकैद


पहले जेडीयू और बाद में आरजेडी में रह चुके प्रभुनाथ को 2017 में विधायक अशोक सिंह की हत्या में भी दोषी करार दिया गया था। इस मामले में भी उन्हें उम्रकैद की सज़ा मिली थी, फिलहाल वह झारखंड की हजारीबाग जेल में बंद हैं।

सजा के बाद प्रभुनाथ के बेटे ने कहा- कानूनी रास्ता देख रहे

प्रभुनाथ सिंह के बेटे राजद विधायक रणजीत सिंह ने भास्कर से बात करते हुए कहा कि अभी हम आगे रिव्यू प्रक्रिया पर सोच रहे हैं। दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर वकीलों से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ बात होने पर जानकारी दे सकेंगे।

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